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शुक्रवार, 20 मार्च 2009

साथ चलो, पर दोडो मत

पाश्चात्य संगीत के लिये एक गीत
suniye
साथ चलो, पर दोडो मत
साथ चलो, पर दोडो मत
गिर जाओगे ।,
हाथ से हाथ,छोडो मत
गिर जाओगे।
रेत घरों के ढ़हने से
आसूँ तो बहते हैं
सुख..दुःख ,हँसी ..खुशी दो पहलू
एक साथ सब सहते हैं।
लोग कहानी उनकी कहते
जो उनको भी भाते हैं
दूर रहा न जाये उनसे
जो सपनों में आते हैं।
चलती हुई हवाओं के तुम
साथ बहो पर मोडो मत।
साथ चलो ,पर दोडो मत
गिर जाओगे,
हाथ से हाथ,छोडो मत
गिर जाओगे।
कमलेश कुमार दीवान
१०अक्तुबर १९९६
नोटः यह गीत युवाओं के लिये लिखा है ,एक समूची पीढ़ी को आदर के साथ समर्पित है।

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