होली शुभ हो
ओ भाई ,ऐसे फागुन आऍ ।
जो न गाऍ गीत,गऐ हो रीत
खूब बतियाऍ
ओ भाई ,ऐसे फागुन आऍ।
दरक गई है प्रीत परस्पर
ढूढै मिले न मन के मीत
हारे हुये ,समय के संग संग
कहां मिली है सबको जीत।
दुख सुख साथ साथ चलते हैं
हम सबको ललचाऍ
ओ भाई ,ऐसे फागुन आऍ।
नये सृजन हों, नव आशाऍ
नये रंग हों नव आभाऍ
ओ भाई ,ऐसे फागुन आऍ।
कमलेश कुमार दीवान
१० मार्च ०९
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गुरुवार, 18 फ़रवरी 2010
बुधवार, 10 फ़रवरी 2010
मुझे खत लिखना
मुझे खत लिखना
भूल जाओ अगर कोई बात
मुझे खत लिखना ।
याद रखना हो मुलाकात
मुझे खत लिखना ।
एक दिन आयेगा सैलाव
या संमुदर से ऊफान
खाली रह जायेगी कश्ती
और किनारे से मुकाम
तुम उठाओ अगर कोई पात
मुझे खत लिखना ।
भूल जाओ अगर कोई बात
मुझे खत लिखना ।
कमलेश कुमार दीवान
१७ मार्च २००९
भूल जाओ अगर कोई बात
मुझे खत लिखना ।
याद रखना हो मुलाकात
मुझे खत लिखना ।
एक दिन आयेगा सैलाव
या संमुदर से ऊफान
खाली रह जायेगी कश्ती
और किनारे से मुकाम
तुम उठाओ अगर कोई पात
मुझे खत लिखना ।
भूल जाओ अगर कोई बात
मुझे खत लिखना ।
कमलेश कुमार दीवान
१७ मार्च २००९
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