होली शुभ हो
ओ भाई ,ऐसे फागुन आऍ ।
जो न गाऍ गीत,गऐ हो रीत
खूब बतियाऍ
ओ भाई ,ऐसे फागुन आऍ।
दरक गई है प्रीत परस्पर
ढूढै मिले न मन के मीत
हारे हुये ,समय के संग संग
कहां मिली है सबको जीत।
दुख सुख साथ साथ चलते हैं
हम सबको ललचाऍ
ओ भाई ,ऐसे फागुन आऍ।
नये सृजन हों, नव आशाऍ
नये रंग हों नव आभाऍ
ओ भाई ,ऐसे फागुन आऍ।
कमलेश कुमार दीवान
१० मार्च ०९
bohot sundar...
जवाब देंहटाएंbahut hi acha likha
जवाब देंहटाएंhar sabd bahut kuch kahta he
sada likhate rahe
dr shakuntala vyas
Waah, Diwan Ji !! Bahut Umda Likha Hai Aapne !!
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