यह ब्लॉग खोजें

गुरुवार, 10 अक्तूबर 2013

। धीरे धीरे निजाम बदलेगा ।

दुनियां भर मे लोकतँत्र  नेतृत्व के खराब प्रर्दशन के कारण
विश्वसनीयता की कसौटी पर है  जनता बार बार सरकारे बदलती है पर
परिवर्तन नही हो पाता है .आशाओं को सृजित करना जरूरी है ,मेरी यह नज्म  लोकतंत्र
के लिये सादर समर्पित है .....कमलेश कुमार दीवान

धीरे धीरे निजाम बदलेगा

धीरे धीरे निजाम बदलेगा
खास बदलेगा आम बदलेगा
होते होते तमाम बदलेगा ।
धीरे धीरे निजाम बदलेगा ।

जो कश्तियाँ  फिर  समुंदर  की  ओर आई है
जो करते रहते काफिलों की रहनुमाई  है
बदल रही है फिजाएँ   तो ढल रहे मौसम
उठाये रख्खो ये परचम मुकाम बदलेगा  ।
धीरे  धीरे  पैगाम बदलेगा ।
धीरे धीरे निजाम बदलेगा ।

अभी हवाये न जाने क्या रुख ,अख्तियार करे
निकल पड़े तो कातिल उन्ही पे बार करे
खबर है दुश्मनो को बन रही है बारूदें
चलेगी गोलियाँ जो दोस्तो पे बार करे ।
बनाये रखोगे दम खम तो काम बदलेगा
धीरे धीरे निजाम बदलेगा ।

आज है कल वही नही रहता
जिन्दादिल जुल्म यूँ नही सहता
जो किया करते है बदनाम बस्तियो को सदा
जरा सा ठहरो उनका भी नाम बदलेगा ।

अमन की राह मे चलते रहो, चलते ही रहो
धीरे धीरे पयाम बदलेगा
गोया किस्सा तमाम बदलेगा ।

खास बदलेगा आम बदलेगा
होते होते तमाम बदलेगा ।
धीरे धीरे निजाम बदलेगा ।

      कमलेश कुमार दीवान

Dheere Dheere Nizaam Badlega