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रविवार, 30 अक्तूबर 2016

दीपावली 2016 पर विचार शुभकामनायें एवम् गीत .."आज हम"

दीपावली 2016 पर  विचार शुभकामनायें एवम् गीत .."आज हम"

सृष्टि मे अँधेरे का साम्राज्य है।पृथ्वी पर पृथ्वी की छाया ही दुनियाँ मे रात का अँधेरा है जिसे एक सूरज उजाले से भर देता है ।मनूष्य भी अपने अतीत की छाया से भविष्य के अंधेरों का सृजन कर डूबने लगता है तब हमारे अंर्तमन से वर्तमान के उजास प्रस्फुटित होकर पथ को आलोकित करते हैं। आओ हम सब एक दीप अपने अंर्तमन मे व्याप्त अंधेरों को दूर करने हेतु जलायें अपने पथ पर आगे बढ़े ,बढ़ते रहें । गीत है .......

""आज हम ""
आओ अंर्तमन के
दीप प्रज्जवलित करे ,आज हम
पथ पथ अँधीयारे फैले हैं
दिशा दिशा भ्रम हैं
सूरज चाँद सितारे सब है
पर उजास कम हैं
थके पके मन, डग मग पग है
भूले राह चले हम ।
आओ अंर्तमन के
दीप प्रज्जवलित करे, आज हम ।

दीपावली के पावन पर्व पर शुभकामनायें ।सभी सुख समृध्दि से परिपूर्ण रहें ।

कमलेश कुमार दीवान
30/10/2016

 

सोमवार, 19 सितंबर 2016

एक गीत...उड़ना चाहता हूँ

एक गीत...उड़ना चाहता हूँ

मै परो को तौलकर
खूब फैलाकर ही
उड़ना चाहता हूँ ।
जानता हूँ यह
वही आकाश है
जिसने धरा को
जन्म देकर
फिर घुमाया है ,
हवाओं से मेघ ला
वृष्टि कर
हरित आकाश ओढ़ाया है
देखने ,सुनने, समझने
और सव आत्मसात् करने
मै घरों को छोड़कर
खूब चलना चाहता हूँ ।
मै परों को तौलकर
खुब फैलाकर ही
उड़ना चाहता हूँ ।

कमलेश कुमार दीवान
23/07/15

शनिवार, 4 जून 2016

बच्चो तुम सब खुश रहो

"बच्चो तुम सब खुश रहो "
                      *कमलेश कुमार दीवान*
 बच्चो ..तुम सभी खुश रहो
सुख से अपना जीवन बिताओ
पर आने वाले दुःखों को भी पहचानो
दुःख जो अपनो से बिछुड़ने और
अपनाये हुये दूसरो से
मिलने वाले  संताप के बीच मे होते हैं
दुःख जो सपनो को पुरा होने और
उनसे अंकुरित हुये परिताप के मध्य झुलते है
अर्थात् दुःख जो दिखाई देते है
चहूँ ओर
संसार मे जीवन मे
पेड़,नदी ,पर्वतऔर आकाश मे
उन सबके बीच भी
खुश होना सीखो मेरे बच्चो
मेरे बच्चो
तुम सभी खुश रहो ,
बच्चो ...जो दुःख है
जो पल क्लाँत करते है
जो बिचार मलिनता देते है
वह सब मुझे दे दो
मे थोड़ा और
मुस्कुराना चाहता हूँ
तुम सब को खूश देखकर
मे कुछ और रमना चाहता हूँ
ये संसार रूपी नदी
शूरू होकर, बहती रहती है निरंतर...
जो तुमने बनाई है  
वे कागज की नावे ही
पार उतारती चली जायेगी अनंत तक
यह सृष्टि तुम्हारे सपनो के लिये है
यह आकाश उड़ान भरने के लिये है
बच्चो....तुम सब खुश रहो
आनंद से परिपूर्ण रहो
दुःख संताप विचार मलिनता सब
मुझे दे दो मेरे बच्चो
समय के साथ चलते हुये
मे भी उन्ही रास्तों से
कदमताल करना चाहता हूँ
मेरे बच्चो .......
तुम सभी खूश रहो
आनंद से जीवन बिताओं
पर आने बाले दुःखो को भी पहचानो ।

कमलेश कुमार दीवान
लेखक
23/05/2016
kamleshkumardiwan.youtube.com

सोमवार, 11 अप्रैल 2016

लोकगीत

॥लोकगीत॥ १
थोड़ा सा समझ के

थोड़ा सा समझ के
दबइयो बटन भैया
दबइयो बटन बहना
जा मे से.......
लोकतंत्र आयेगो ।
सबके मन भायेगो।
हम सबको निबाहेगो।

जाति पाँति धर्माधरम
बात करत बड़ी बड़ी
बाँटे है देश और
घात करत घड़ी घड़ी
जीत के जो
फूलो न समायेगो ।

थोड़ा सा समझ के,
दबइयो बटन भैया
सबके मन भायेगो।
ओ भैया ,ओ बहना,
जा मे से लोकतंत्र आयेगो ।

थोड़ा सा समझ के
दबइयो बटन भैया
दबइयो बटन बहना
जा मे से लोकतंत्र आयेगो
सबके मन भायेगो
हम सबको निबाहगो ।

कमलेश कुमार दीवान
१९ अप्रेल २००९ 

शुक्रवार, 8 अप्रैल 2016

अच्छा होगा ..मानव जीवन के संबंध मे एक गीत

जिन्दगी के बारे मे हम बहुत चिंतिंत रहते है सोचते है क्या होगा कैसे बीतेगी इस संदर्भ मे मेरा यह गीत प्रस्तुत है गुनगुनाये तो अच्छा लगेगा ....

💐अच्छा होगा💐  ..मानव जीवन के संबंध मे एक गीत

जिन्दगी ऐसी निकल जाये
तो अच्छा होगा ।
किसी से खुशियाँ मिले
और कोई दुआयें दे
जिन्दगी ऐसी सँभल जाये
तो अच्छा होगा ।

कभी दुख भी मिले
तो हसरते भी पूरी हो
दिल के अरमान
संजोने भी तो जरूरी हो
भीगे कोरे मेरी आँखो की
तुम्हारी नम हो
निकल आये अगर आँसू
तब तुम्हारे गम हो

खुशनुमा भोर हो
दोपहरी हो
साँझ भी ऐसी ही ढल जाये
तो अच्छा होगा
जिन्दगी ऐसी ही बन जाये
तो अच्छा होगा ।
कमलेश कुमार दीवान
22/3/2016
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रविवार, 20 मार्च 2016

चिड़ियाँ रानी आना"...बच्चों के लिये गीत


"चिड़ियाँ रानी आना"...बच्चों के लिये गीत
आज विश्व गौरया दिवस है(20 मार्च)अपनी नन्ही सी प्यारी  बेटियो के लिये यह गीत लिखा और उन्हे सुनाया करता था जिससे वे खूश हो जाती थी ।छप्पर छानी तो सब गाँव मे छूट से गये किन्तु शहर के घर मे आज भी चिड़ियाये घौंसले बनाती है उनके बच्चौ की चहचहाहट से घर भरा रहता है जिससे बच्चियों की याद निरंतर बनी हुई है ।वे बाहर है कभी कहती है कि पापा चिड़िया रानी वाला गीत सुनाओं  तब समूचा बचपन एक साथ जेहन मे समा जाता है जिसे परे ढकेलना बहुत मुश्किल हो जाता है ।मुझे लगता है कि बेटीयों और चिड़ियों मे कोई अधिक फर्क नही है काश उनके भी पंख होते आकाश मे वे भी ऊँची उड़ान भर सकती पर कोई बात नहीं हवाई जहाज तो है जिनमे बचपन से काँधो पर सवार रहती बेटियाँ  उड़ रही हैं समूची पृथ्वी  और आकाश उसके साथ हैं । मेरा यह गीत विश्व गौरेया दिवस पर विश्व भर की बेटियों को समर्पित है .....

चिड़ियाँ रानी

चिड़िया रानी आना
धूल मत नहाना
छोटी सी कटोरी मे
दाना रखा है ।

छोटे छोटे पँख तेरे
सारा है आकाश
दूर दूर जाती उड़ के
आती पास पास

मेरी छप्पर छानी मे
घौंसला बनाना
चिड़ियाँ रानी आना
चिड़िया रानी आना
   कमलेश कुमार दीवान
होशंगाबाद म.प्र
3जुलाई 1993

गुरुवार, 17 मार्च 2016

समय के साथ चलना

मै निवेदन के साथ यह गीत प्रस्तूत कर रहा हूँ  मित्रो सदस्यौ से अनुरौध है कि वे पढ़े और खुले मन से प्रतिक्रिया देवे ।
17/03/2016

समय के साथ चलना

हम समय के साथ
चलना चाहते है
पर समय तो हो ।

निकल आये दूर
पथ विस्मृत हुये है
क्या करे अब सुझती
मंजिल नहीं है
भीड़ अट्टहास करती
गुम हुई सड़के पुरानी
शहर को जैसे बताती थी
दादी नानी की कहानी
बहुत बदला है
ठहरना चाहते है
पर समय तो हो।

कमलेश कुमार दीवान
30/7/2015 

गुरुवार, 3 मार्च 2016

पात पात झर रहे है ... गीत

पात  पात झर रहे है

पात पात झर रहे है
महके महके गात गात
रिश्तो मे अनबन है
फिर भी थोड़ी समात ।
वन उपवन बहके है
महुये की सुगंध से
फागुन के रंगो से
बांसती अनूबँध से

थोड़ी सी आस पर
बहकी सी कायनात
रिश्तो मे अनबन है
फिर भी थोड़ी समात ।

कमलेश कुमार दीवान
6 मार्च 2015
kamleshkumardiwan.youtube.com

शनिवार, 27 फ़रवरी 2016

क्या लिखें .... क्या लिखें गीत

क्या लिखें
क्या लिखें गीत
क्यों गायें ,
गुनगुनाये क्या
जो पास था वो
चला गया सारा ।
हम जब आजाद थे
गुलामी में
लड़ गये
बेहतरी के लिये
अब ये आजादी
कहाँ हैं यारो
कि मुखाफलत हो
असलियत के लिये
क्या लिखे जीत
क्यों मनाये ,
फहरायें क्या ?
जो पास था
छला गया सारा ।
क्या लिखे गीत
क्यों गाये
गुनगुनाये क्या
जो पास था
चला गया सारा ।

कमलेश कुमार दीवान
लेखक
18/02/2016