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गुरुवार, 19 नवंबर 2020

मेरे शहर के लोग.... गजल

 रहते नहीं उदास हैं ,मेरे शहर के लोग

रखते बहुत लिहाज हैं ,मेरे शहर के लोग

अपने लिवास ,बातचीत ,आतिथ्य मे मधुर
हर शख्स लाजबाब है मेरे शहर के लोग।
मंदिर है, मस्जिदें हैं गुरूद्वारे प्रार्थना घर,
हर धर्म की किताब हैं, मेरे शहर के लोग।
कोई समझ सके तो चले साथ हमारे
एक पालदार नाव है, मेरे शहर के लोग
गर्मी में शीतल छाँव है, बरसात में छाता
सर्दी में एक अलाव है मेरे शहर के लोग।
जीवन के साथ बहुत सी कठिनाईयां भी हैं
फिर भी हैं खुशमिजाज, मेरे शहर के लोग।
कमलेश कुमार दीवान
16/9/2020
होशंगाबाद म.प्र. भारत

बुधवार, 4 नवंबर 2020

चाँद कहता रहा

 चाँद कहता रहा


चाँद कहता रहा रात भर रात से 

यूँ ही चलता रहा हूँ बिना बात के 

रात में ,रात भर, कई रात से 

इन सितारों की नजरें 

जमीं पर भी रही है

रात मे रात से रात भर ।

अभी भी बहुत बची है कहानी मेरी 

मै चला था कहाँ से कहाँ आ गया 

किसी बात से रात मे रात से ।

तुम सुनोगो नहीं पर कहा तो यही

मेरे जज्बात पर कह उठा है आसमां

तुम्हे कायनात पार करना है अभी

 तुम चलो चलते ही रहो 

रात मे रात भर रात से बिना बात के

चाँद कहता रहा अँधेरो से उजियार से 

मै थका हूँ कहाँ 

रात भर रात से बिना बात के 

चाँद कहता रहा 

रात भर रात से 


कमलेश कूमार दीवान

5/2/17