गगन मै
गगन मै
उड़ते बिहग अनेक।
गगन मे
उड़ते ,बिहग अनेक ।
कोई अकेला
कोई सखा सँग
कोई..कोई विशेष ।
गगन में,
उड़ते बिहग अनेक ।
कमलेश कुमार दीवान
I am writer,poet and retired principle higher secondary government school for more than 33 years. Published articles in news paper through Sarvodaya press service, Indore .Naiduniya Jansatta ,and others.my poems got published in Samkaleen Bhartiya Saahitya NewDelhi,Uttaraardh,Akshat,Kala-kalash etc.
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रविवार, 26 जुलाई 2009
मंगलवार, 7 जुलाई 2009
चिड़ियों की चिंताओं मे
चिड़ियों की चिंताओं मे
ओ चिड़ियो , ओ चिड़ियो
पंख फड़फड़ाओ मत
उड़ के तुम दूर कहीं जाओ मत
गाओ गुनगुनाओं मत
खिलखिला के हँसना सब दूर मना
ये पर्वत ,नदियाँ ,झील, सागर के साथ साथ
नीला आकाश खूब बना ठना है
आसपास एक छोटा पिंजरा बना है
ओ चिड़ियो ओ चिड़ियो ओ चिड़ियो
फंख फड़फड़ाओ मत
गाओ गुनगुनाओ मत
खिलखिला के हँसना सब दूर मना है।
अब कितना मुश्किल है
खोखले से बरगद पर घौसला बनाना
खतरनाक हो गया है
दूर हरे खेतों से चुग्गा ले आना
दुनका दाना पानी सब यहीं बुलाने दो
उड़ना पर तौलना सब दूर मना है।
ओ चिड़ियो ओ चिड़ियो ओ चिड़ियो
फंख फड़फड़ाओ मत
उनको फुरफुराने दो
गाओ मत गीत कोई
उनको ही गाने दो
आस पास आओ मत
उनको मँडराने दो
नीला आकाश खूब बना ठना है।
ओ चिड़ियो ओ चिड़ियो ओ चिड़ियो
आस पास एक छोटा पिंजरा बना है।
कमलेश कुमार दीवान
०८ मार्च १९९५
ओ चिड़ियो , ओ चिड़ियो
पंख फड़फड़ाओ मत
उड़ के तुम दूर कहीं जाओ मत
गाओ गुनगुनाओं मत
खिलखिला के हँसना सब दूर मना
ये पर्वत ,नदियाँ ,झील, सागर के साथ साथ
नीला आकाश खूब बना ठना है
आसपास एक छोटा पिंजरा बना है
ओ चिड़ियो ओ चिड़ियो ओ चिड़ियो
फंख फड़फड़ाओ मत
गाओ गुनगुनाओ मत
खिलखिला के हँसना सब दूर मना है।
अब कितना मुश्किल है
खोखले से बरगद पर घौसला बनाना
खतरनाक हो गया है
दूर हरे खेतों से चुग्गा ले आना
दुनका दाना पानी सब यहीं बुलाने दो
उड़ना पर तौलना सब दूर मना है।
ओ चिड़ियो ओ चिड़ियो ओ चिड़ियो
फंख फड़फड़ाओ मत
उनको फुरफुराने दो
गाओ मत गीत कोई
उनको ही गाने दो
आस पास आओ मत
उनको मँडराने दो
नीला आकाश खूब बना ठना है।
ओ चिड़ियो ओ चिड़ियो ओ चिड़ियो
आस पास एक छोटा पिंजरा बना है।
कमलेश कुमार दीवान
०८ मार्च १९९५