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शनिवार, 8 अगस्त 2009

याद आये नानी

याद आये नानी
आओ सब मिल सोचे रे भैया
क्यों इतनी खींचातानी
बार..बार याद आए नानी ।
आओ सब मिल .............।
ताम झाम तो बढे
पुटरिया ज्यों की त्यों है
टाबर ऊँचे हुये
झोपड़ियाँ ऐसी क्यों है
फक्कड़ ही रह गये आज
बस्ती बस्ती के लोग
कुछ बन गये अमीर
कुछेक मे बनने के सँजोग
आओ सब मिल सोचे रे भैया
क्यों इतनी है ,मनमानी
बार बार याद आए नानी ।
घर आँगन जगमग करते पर
मन मे हुये अँधेरे
दुनिया कहती जाये सुन रे
ये माया के फेरे
बनते गये समुद्र
नदी भी न रह पाई छुद्र
सबके सब है धुत्त
रमैया फिर भी रहता क्रुध
मनाएँ आजादी के जश्न
ढुकरिया रूठीं क्यों है
आओ सब मिल सोचे रे भैया
क्यों इतनी है बेईमानी
बार बार याद आए नानी ।
कमलेश कुमार दीवान
१४ अक्तूबर १९९७