होली शुभ हो
ओ भाई ,ऐसे फागुन आऍ ।
जो न गाऍ गीत,गऐ हो रीत
खूब बतियाऍ
ओ भाई ,ऐसे फागुन आऍ।
दरक गई है प्रीत परस्पर
ढूढै मिले न मन के मीत
हारे हुये ,समय के संग संग
कहां मिली है सबको जीत।
दुख सुख साथ साथ चलते हैं
हम सबको ललचाऍ
ओ भाई ,ऐसे फागुन आऍ।
नये सृजन हों, नव आशाऍ
नये रंग हों नव आभाऍ
ओ भाई ,ऐसे फागुन आऍ।
कमलेश कुमार दीवान
१० मार्च ०९
I am writer,poet and retired principle higher secondary government school for more than 33 years. Published articles in news paper through Sarvodaya press service, Indore .Naiduniya Jansatta ,and others.my poems got published in Samkaleen Bhartiya Saahitya NewDelhi,Uttaraardh,Akshat,Kala-kalash etc.
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गुरुवार, 18 फ़रवरी 2010
बुधवार, 10 फ़रवरी 2010
मुझे खत लिखना
मुझे खत लिखना
भूल जाओ अगर कोई बात
मुझे खत लिखना ।
याद रखना हो मुलाकात
मुझे खत लिखना ।
एक दिन आयेगा सैलाव
या संमुदर से ऊफान
खाली रह जायेगी कश्ती
और किनारे से मुकाम
तुम उठाओ अगर कोई पात
मुझे खत लिखना ।
भूल जाओ अगर कोई बात
मुझे खत लिखना ।
कमलेश कुमार दीवान
१७ मार्च २००९
भूल जाओ अगर कोई बात
मुझे खत लिखना ।
याद रखना हो मुलाकात
मुझे खत लिखना ।
एक दिन आयेगा सैलाव
या संमुदर से ऊफान
खाली रह जायेगी कश्ती
और किनारे से मुकाम
तुम उठाओ अगर कोई पात
मुझे खत लिखना ।
भूल जाओ अगर कोई बात
मुझे खत लिखना ।
कमलेश कुमार दीवान
१७ मार्च २००९