"कुछ बाते "
कमलेश कुमार दीवान
कुछ बाते जो नई नई सी
अच्छी लगती हैं
यादों के अथाह सागर मे
डूब डूब जाता है जब मन
होती है बरसात बहुत और
भीग भीग जाता है जब तन
फिर आती है जब कुछ राते
छुई मुई सी कुछ सौगाते
नई नई सी सच्ची लगती है
कुछ बाते .......
कुछ बाते जो बहुत पुरानी
कही कही अनकही शेष हैं
वो भी एक कहानी सी हैं
यादें रची- बसी बचपन की
लगती अब गुड़ - धानी सी है
भर भर जाता है जब मन
फिर भाती अच्छी सी बातें
कई कई तो कच्ची सी लगती हैं
कुछ बाते जो नई नई सी
अच्छी लगती हैं
कुछ सौगातें जो नई नई सी
सच्ची लगती हैं
कमलेश कुमार दीवान
30/8/20