I am writer,poet and retired principle higher secondary government school for more than 33 years. Published articles in news paper through Sarvodaya press service, Indore .Naiduniya Jansatta ,and others.my poems got published in Samkaleen Bhartiya Saahitya NewDelhi,Uttaraardh,Akshat,Kala-kalash etc.
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सोमवार, 17 जुलाई 2023
कोई तो है जो
कतरा कतरा कोई तो है जो अंदर अंदर रहता है
थोड़ा- थोड़ा दर्द ही होगा , रफ्ता रफ्ता कहता है
दरिया सी ही पहुंच रही है ,पीढ़ाएं पानी पानी
जो भीतर है बाहर होकर हफ़्ता हफ्ता बहता है
देखा भी क्या वो एक समुंदर दूर दूर तक फैला है
ये एहसास हुआ है दिल में रस्ता रस्ता रहता है
चुप चुप बहुत पुकार रहे हैं लफ्ज़ लफ्ज़ धीरे धीरे
दिल की कलम रोशनाई से दस्ता दस्ता सहता है
भाग रही क्यों हवा बादलों को ले लेकर धरती पर
कहां कहां भीगा है मन भी , वस्ता- वस्ता रहता है
कमलेश कुमार दीवान
11/1/22
वस्ता=दीप्त होने वाला , चमकने वाला /दस्ता=कागज़ की गड्डी
मंगलवार, 11 जुलाई 2023
बाकी सब ठीक है
"बाकी सब ठीक है"
*कमलेश कुमार दीवान
मैं हमेशा गलती ही करता हूं
उनके साथ प्यार में दुलार में स्नेह के संसार में
सबके साथ व्यवहार में,स्वीकार में, इंकार में
हमेशा गलती ही करता हूं बस ग़लती ही करता हूं
और गलते जाता हूं हमेशा मैं ही
बाकी सब ठीक है।
मैं तनाव से टूटता भी हूं,सपनों से रूठता भी हूं
संकल्प लेता हूं, शपथ खाता हूं
कि अब त्रुटियां न हो ,गलतियों से बचा रहूं
फिर फिर त्रुटियां, गलतियां करता ही हूं
अपनों के लिए ,जो अपने नहीं रहते
सपनों के लिए जो सपने हीं रहते हैं
मनाने, महसूस करने और देखते रहे उन्हें,
जो कभी मेरे थे मुझसे ही थे
गलतियां तो आदत हो गई है आज भी गलतियां करता हूं
गलतफहमियां पालता हूं ,चुकाता जाता हूं उनका मूल्य
प्यार में, दुलार में, व्यवहार में दो
स्वीकार और इंकार के संसार में
पैसों से, समय से और विचार से
गलतियां करता हूं गलतियों पर हूं
और गलत रहते हुए गलता जाता हूं
सोचता हूं गलत ही सही हूं
जीने के लिए गलतियां ही जरूरी है
बाकी सब ठीक ही है।
कमलेश कुमार दीवान (लेखक)
नर्मदा पुरम होशंगाबाद म.प्र.
29/11/22