सावन झूले पड़े
सावन झूले पड़े
भाई परदेश मे,
कैसे जश्न मनाएँ
जायें देश मे।
माँ ने सोचा
पिता आयेगें
पर वो गये नौकरी ,
भुआ आयेगी
राखी लेकर
पर हो गई डोकरी ।
बूढा बूढी
बच्चा बच्ची
युवा किशोरी
सव ही नये परिवेश में
छौड़ गये सब तैश मे ,
कैसे जश्न मनाये
जायें देश मे ।
सावन झूले पड़े
भाई परदेश मे
कैसे जश्न मनाये
जाये देश मे ।
कमलेश कुमार दीवान
२अगस्त २००९