इन पालदार नावो के लिये
नदियाँ होनी चाहिये
नदियों के लिये जल
जल के लिये पेड़
और
पेड़ो के लिये पहाड़
पहाड़ बनने के युग
कभी कभी ही आते है
पैड़ उगाने के मौसम हर वरस,
पौधा रोपने वाले नही देखते गर्मी,
काटने वाले कहाँ देखते है सर्दी..बरसात
जहाँ वन होना चाहिये वहाँ नही है पेड़
जहाँ जल होना चाहिये वहाँ नहीं है नदियाँ
नावे अब जहाज हो गई है
उनके पाल अब नहीं बचे हैं।
कमलेश कुमार दीवान
21/07/06
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें