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बुधवार, 20 जनवरी 2010

ॠतु गीत ....बसंत

ॠतु गीत ....बसंत

मुझसे बसंत के गीत नहीं
गाए जाते ओ मन ।
मुझसे बसंत के गीत नहीं
गाए जाते ओ वन ।।

कुछ देर डालियों पर ठहरो
पाती पर नाम लिखूँगा
अजनवी हवाओ,सखा साथियों
के तन मन पैठूँगा

धूँ धूँ जल रहे पहाड़ और
भाए भरमाये मन।
मुझसे इस अंत के गीत नहीं
गाए जाते ओ वन।
मुझसे बसंत के गीत नहीं
गाए जाते ओ मन ।।
कमलेश कुमार दीवान
०८ मार्च १९९५

11 टिप्‍पणियां:

  1. pahli baar aayaa aapke blog par aour aanand aa gayaa. bahut achha likhate he aap.

    कुछ देर डालियों पर ठहरो
    पाती पर नाम लिखूँगा
    अजनवी हवाओ,सखा साथियों
    के तन मन पैठूँगा
    hindi ki rachnaye jis tarah se aaj ho rahi he, usase bilkul hat kar aapki rachnaa he, santushti pradaan karti hui, ki hindi ki utkrashth rachnaye aaj bhi anvarat he.

    जवाब देंहटाएं
  2. कैसे गीत वसंत के गाए कोई आज।
    मँहगाई की मार से भूखा सकल समाज।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर लिखा है और सटीक भी।
    वसन्तपंचमी की शुभ कामनाएँ!
    घुघूती बासूती

    जवाब देंहटाएं
  4. वसंत पंचमी कि हार्दिक शुभ कामनाएँ...इस अवसर की सुंदर रचना

    जवाब देंहटाएं
  5. Bahut sundar pankhtiyan kamlesh ji , vasant ritu ka swagat isse accha bhala aur kya honga ji

    aabhaar .

    vijay
    www.poemsofvijay.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  6. Aahaaaaa

    कुछ देर डालियों पर ठहरो
    पाती पर नाम लिखूँगा
    अजनवी हवाओ,सखा साथियों
    के तन मन पैठूँगा


    bahut achchha laga
    aapako padkara...aabhar...

    Gita

    जवाब देंहटाएं


  7. मुझसे बसंत के गीत नहीं
    गाए जाते ओ मन ।
    मुझसे बसंत के गीत नहीं
    गाए जाते ओ वन ।।


    अच्छा लगा पढ़ कर...
    आभार !
    हार्दिक शुभकामनाएं !!

    जवाब देंहटाएं