💐बसंत गीत💐
कमलेश कुमार दीवान
बसंत ....यह क्रम अनंत आया है
अब बसंत आया है ।पीली चूनर ओढ़े फूल खिल खिला रहें हैं
आम्र बौर लद रहें हैं ,खेत फिर बुला रहे हैं
नभ की ओर उठ गई हैं डालियां पसारे पात
निखर निखर खिर रहे हैं वृक्ष फूल पारिजात
वन वन आनंद छाया है ,यह क्रम अनंत आया है
अब बसंत आया है ........
खिल उठी लताएँ भी मौन हम भी क्यों रहें
तुम भी गीत गाओं और कुछ कथाएँ हम कहें
सृष्टि का यह क्रम अनंत फैल रहा दिग दिगंत
आया छाया बसंत मन न जाए ,भरमाएँ ये अंत
हम सबको भाया है .....
अब बसंत आया है ,अब बसंत आया है ।
कमलेश कुमार दीवान
17/2/21