ॠतु गीत ....बसंत
मुझसे बसंत के गीत नहीं
गाए जाते ओ मन ।
मुझसे बसंत के गीत नहीं
गाए जाते ओ वन ।।
कुछ देर डालियों पर ठहरो
पाती पर नाम लिखूँगा
अजनवी हवाओ,सखा साथियों
के तन मन पैठूँगा
धूँ धूँ जल रहे पहाड़ और
भाए भरमाये मन।
मुझसे इस अंत के गीत नहीं
गाए जाते ओ वन।
मुझसे बसंत के गीत नहीं
गाए जाते ओ मन ।।
कमलेश कुमार दीवान
०८ मार्च १९९५
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बुधवार, 20 जनवरी 2010
शुक्रवार, 1 जनवरी 2010
आओ नव वर्ष गीत २०१०
आओ नव वर्ष गीत २०१०
आओ नव वर्ष
हम करे बँदन।
खुश हो सब
सुखी रहें
हो अभिनंदन ।।
आओ नव वर्ष....
काल की कृपा होगी
सारे सुख पायेगें
पीकर हम हालाहल
अमृत बरसायेगें ।
धरती गुड़..धानी दे
पर्वतों पर पेड़ रहें
रेलो मे सड़को पर
हम सबकी खेर रहें।
माँग मे सिंदूर रहे
भाल पर तिलक चंदन
आओ नव वर्ष
हम करे बँदन ।
नूतन वर्ष मंगलमय हो ।शुभकामनाओ सहित..
कमलेश कुमार दीवान
होशंगाबाद म.प्र.
आओ नव वर्ष
हम करे बँदन।
खुश हो सब
सुखी रहें
हो अभिनंदन ।।
आओ नव वर्ष....
काल की कृपा होगी
सारे सुख पायेगें
पीकर हम हालाहल
अमृत बरसायेगें ।
धरती गुड़..धानी दे
पर्वतों पर पेड़ रहें
रेलो मे सड़को पर
हम सबकी खेर रहें।
माँग मे सिंदूर रहे
भाल पर तिलक चंदन
आओ नव वर्ष
हम करे बँदन ।
नूतन वर्ष मंगलमय हो ।शुभकामनाओ सहित..
कमलेश कुमार दीवान
होशंगाबाद म.प्र.
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