.नव वर्ष
सुख बिखर सिमटते रहे
तिमिर घन
घटते बढ़ते रहें
प्रण टूटे ,
मौन और विस्तृत
स्वीकारे उत्कर्ष ,
नये आये है,वर्ष ।
शुभ मँगलकामनाओ सहित सादर समर्पित है।
कमलेश कुमार दीवान
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बुधवार, 30 दिसंबर 2009
सोमवार, 28 दिसंबर 2009
ॠतु गीत ..शीत सर्द हवाएँ
ॠतु गीत ..शीत
सर्द हवाएँ
अबकी बार,बहुत दिन बीते
लौटी सर्द हवाओं को ।
लौटी सर्द हवाओं को ।
काँप गई थी ,धूँप
चाँदनी कितनी शीतल थी
नदियाँ गाढी हुई
हवाएँ बेहद विचलित थी।
व्यर्थ हुये आलाव
आँच के धीमे होने से
फसलें ठिठुरी और फुगनियाँ
सहमी ..सहमी सी ।
अबकी बार बहुत दिन सहते
रहे विवाई पाँवों की।
अबकी बार बहुत दिन बीते
लौटी सर्द हवाओं को।
लौटी सर्द हवाओं को।
कमलेश कुमार दीवान
८ जनवरी ९५
सर्द हवाएँ
अबकी बार,बहुत दिन बीते
लौटी सर्द हवाओं को ।
लौटी सर्द हवाओं को ।
काँप गई थी ,धूँप
चाँदनी कितनी शीतल थी
नदियाँ गाढी हुई
हवाएँ बेहद विचलित थी।
व्यर्थ हुये आलाव
आँच के धीमे होने से
फसलें ठिठुरी और फुगनियाँ
सहमी ..सहमी सी ।
अबकी बार बहुत दिन सहते
रहे विवाई पाँवों की।
अबकी बार बहुत दिन बीते
लौटी सर्द हवाओं को।
लौटी सर्द हवाओं को।
कमलेश कुमार दीवान
८ जनवरी ९५
शनिवार, 19 दिसंबर 2009
राम चरण मे
राम चरण मे
लगा ले मन
राम चरण में प्रीत ।
सुख.. सम्पति सब
धरी रहत है
यही जगत की रीत।
लगा ले मन
राम चरण मे प्रीत ।
कमलेश कुमार दीवान
१६ मई २००८
लगा ले मन
राम चरण में प्रीत ।
सुख.. सम्पति सब
धरी रहत है
यही जगत की रीत।
लगा ले मन
राम चरण मे प्रीत ।
कमलेश कुमार दीवान
१६ मई २००८
गुरुवार, 17 दिसंबर 2009
रे मन
भजन....
रे मन
रे मन
काहे तू इतना डरे ।
पवन पुत्र तेरे
संग..साथ है
गणपति विध्न हरे ।।
रे मन..
काहे तू इतना डरे ।
कमलेश कुमार दीवान
25/10/09
रे मन
रे मन
काहे तू इतना डरे ।
पवन पुत्र तेरे
संग..साथ है
गणपति विध्न हरे ।।
रे मन..
काहे तू इतना डरे ।
कमलेश कुमार दीवान
25/10/09
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