यह ब्लॉग खोजें

गुरुवार, 31 अगस्त 2023

सावन आएं रे ..….. गीत बंदिश

 सावन आएं रे

बादर बिजुरी और हवाएं

घिर आए घनघोर घटाएं

घन बरसाएं,मन भरमाएं रे 

सावन आएं रे।

सरवन के कच्चे धागों से

बहना करे श्रृंगार भाई का 

जग जाने भारत की संस्कृति

मूल्य जाने बहना कलाई का 

मन हर्षाएं सब मन भाए रे 

सावन आएं रे।

कमलेश कुमार दीवान

@kamleskumardiwan

24/8/2010

शनिवार, 26 अगस्त 2023

जेहन में ध्वज तिरंगा है

         " ध्वज तिरंगा है"           

                        *कमलेश कुमार दीवान*

हमारा मान आजादी ,जेहन में ध्वज तिरंगा है 

हमारा देश भारत है,आज़ाद हर एक एक परिंदा है

वतन गणतंत्र,संविधान संसद ,और जनतंत्र जिंदा है

यहां सम्मान है मेरे वतन घर घर जेहन में ध्वज तिरंगा है 

जो बर्बर थे वे खुद लुटे ,मिट गए कुछ तानाशाही में

बची है राजशाही तब वहां जन अधिकार देने से

यही एक देश है संस्कृति जहां की विविध रंगों की

अलग है खान पान, रहन सहन, पहनावा विविध ढंगों की

विविधताओं की यहां पहचान और इंसानियत भी है

अमन हो भाईचारे की मुक्कमल बानगी सी है 

हमारा गान है जनतंत्र, यही अरमान सबका हो

तिरंगा एक हो,यह मंत्र, और अभियान सबका हो

बंटे क्यों जातियों में हम, रहे क्यों हाशियों में हम

यही संघर्ष, आजादी ही हम सबकी विरासत है

किसी की बांट की खातिर बंटे क्यों वादियों  में हम 

यहां गंगा है जमुना भी नर्मदा गोदावरी कृष्णा  कावेरी 

पूरव घाट पश्चिम श्रृंखला सतपुड़ा विंध्य और अरावली 

उत्तर में हिमालय सी ऊंचाई ,पूरव पहाड़ी सात बहनों सी

कहानी भर नहीं है आजादी के लिए बलिदान देने की

हमारी शान भारतवर्ष, घर, जेहन में ध्वज तिरंगा है

यही  सम्मान घर घर वतन और ज़ेहन में  तिरंगा है 

कमलेश कुमार दीवान

15/8/23

सोमवार, 17 जुलाई 2023

कोई तो है जो

******कोई तो है जो ******
कतरा कतरा कोई तो है जो अंदर अंदर रहता है
थोड़ा- थोड़ा दर्द ही होगा , रफ्ता रफ्ता कहता है
दरिया सी ही पहुंच रही है ,पीढ़ाएं पानी पानी
जो भीतर है बाहर होकर  हफ़्ता हफ्ता बहता है
देखा भी क्या वो एक समुंदर दूर दूर तक फैला है
ये एहसास हुआ है दिल में  रस्ता रस्ता रहता है
चुप चुप बहुत पुकार रहे हैं लफ्ज़ लफ्ज़ धीरे धीरे
दिल की कलम रोशनाई से दस्ता दस्ता सहता है
भाग रही क्यों हवा बादलों को ले लेकर धरती पर
कहां कहां भीगा है मन भी , वस्ता- वस्ता रहता है

कमलेश कुमार दीवान
11/1/22

वस्ता=दीप्त होने वाला , चमकने वाला /दस्ता=कागज़ की गड्डी

मंगलवार, 11 जुलाई 2023

बाकी सब ठीक है

 "बाकी सब ठीक है"

                                *कमलेश कुमार दीवान 

मैं हमेशा गलती ही करता हूं

उनके साथ प्यार में  दुलार में स्नेह के संसार में 

सबके साथ व्यवहार में,स्वीकार में, इंकार में 

हमेशा गलती ही करता हूं बस ग़लती ही करता हूं 

और गलते जाता हूं हमेशा मैं ही 

बाकी सब ठीक है।

मैं तनाव से टूटता भी हूं,सपनों से रूठता भी हूं

संकल्प लेता हूं, शपथ खाता हूं

कि अब त्रुटियां न हो ,गलतियों से बचा रहूं

फिर फिर त्रुटियां, गलतियां करता ही हूं

अपनों के लिए ,जो अपने नहीं रहते

सपनों के लिए जो सपने हीं रहते हैं 

मनाने, महसूस करने और देखते रहे उन्हें,

जो कभी मेरे थे मुझसे ही थे 

गलतियां तो आदत हो गई है आज भी गलतियां करता हूं

गलतफहमियां पालता हूं ,चुकाता जाता हूं उनका मूल्य 

प्यार में, दुलार में, व्यवहार में दो

स्वीकार और इंकार के संसार में 

पैसों से, समय से और विचार से

गलतियां करता हूं गलतियों पर हूं

और गलत रहते हुए गलता जाता हूं

सोचता हूं गलत ही सही हूं

जीने के लिए गलतियां ही जरूरी है

बाकी सब ठीक ही है।

कमलेश कुमार दीवान (लेखक)

नर्मदा पुरम होशंगाबाद म.प्र.

29/11/22

मंगलवार, 14 फ़रवरी 2023

💐प्रेम में पगे रहना ....💐

 


💐प्रेम मे पगे रहना 💐
                                 *कमलेश कुमार दीवान *
जब हम हमेशा ही प्रेम मे पगे रहते हैं तब
बिसार जाते हैं प्रेम को ही
प्रेम एक आभा है आलोक है
आभास भी तो है हमारे प्रेममय होने का
प्रेम मानवीय शाश्वत मूल्यों का आलोढ़न है
प्रेम अंकुरण है ,सृष्टिमय समष्टि का
प्रेम जीवन है और जीव के चुक जाने तक भी है
प्रेम प्रेम ही है पर प्रेम मे ही पगे रहना तो नहीं है प्रेम
जीवन भी तो नहीं है यह
फिर क्यों हम पगे रहते हैं प्रेम मे ही
और रह जाते हैं घृणाँओ के स्पर्श से अछूते
जैविक अजैविक सृष्टि मे
तैरकर ,रेंगकर,चलकर,उड़कर और
स्थिरता के साथ आसमान में पर्ण  फैलाएँ
जमीन में जड़े धसाएँ  और उनसें ही लिपटकर
पोषण पाती लताएँ बेले भी प्रेममय हैं
अर्थात सृष्टि के सभी मनोभावों को
महसूस करते रहना भी प्रेम ही है
प्रेम मे पगे रहना ही तो प्रेम नहीं है।

 कमलेश कुमार दीवान   
  16/3/22
                                    

शुक्रवार, 13 जनवरी 2023

पतंग -3

  💐पतंग💐

                             *कमलेश कुमार दीवान*
कुछ खास है अरमां, जिन्हें लेकर उड़े पतंग
ख्वाहिश हवा के हाथ मे देकर उड़े पतंग
देखो उसे आकाश में पहुँची है बहुत दूर
बदला हवा ने रूख तो फिरकर उड़े पतंग
पहले तो संग साथ का त्यौहार था यही
इस दौर ए सियासत मे क्यों कर उड़े पतंग
ऊपर गई इतराई भी लहराई संग साथ 
खुशियाँ बनी हैं सपने संजोकर उड़े पतंग
माँजा हैं बहुत तेज दांव पेंच हैं  'दीवान'
जाने दो ऊंची और जी भरकर उड़े पतंग
कमलेश कुमार दीवान 
10/1/23

शनिवार, 7 जनवरी 2023

इन हवाओं से

 इन हवाओं से नहीं बुझते  होंगे वे चिराग़

जिनको तूफ़ानों के संग साथ जलाया होगा

जिसने दरिया को धकेला है समुंदर की तरफ़

लौट कर वो ही फिर बादलों में समाया होगा

हर दराजों से झिरा, नदियों से ओझल भी हुआ

आसमां छू छू के पहाड़ों पे फिर छाया होगा

तेज थी धूप वारिश भी तो बार बार हुई 

हम तो निकले ही थे  तुमने बुलाया  होगा

अब फिजाओं से कोई पूछता ही कब है दीवान 

जिनके आने से कोई साथ  घर आया होगा 

कमलेश कुमार दीवान

17/12/20

रविवार, 1 जनवरी 2023

A Gift of Dawn.........New year 2023

 "A Gift of Dawn....New Year 2023

                                   Kamlesh Kumar Diwan

 May there be new year, may there be joy, may there be new happiness, may there be new prosperity

 New dawn, new evening, new destination

 New goals, new spirits, new directions

 New moon, stars, weather, new vision, new book

 The new river is the New boat ⛵

 the New mood and the New dreams

 New ways, new journey, meaning that you are looking for

 Let this be the gift of the morning.

A Gift of Dawn .

Happy New year 🎉💐 2023

 Kamlesh Kumar Diwan