यह ब्लॉग खोजें

गुरुवार, 18 फ़रवरी 2010

ऐसे फागुन आऍ ।

होली शुभ हो

ओ भाई ,ऐसे फागुन आऍ ।
जो न गाऍ गीत,गऐ हो रीत
खूब बतियाऍ
ओ भाई ,ऐसे फागुन आऍ।
दरक गई है प्रीत परस्पर
ढूढै मिले न मन के मीत
हारे हुये ,समय के संग संग
कहां मिली है सबको जीत।
दुख सुख साथ साथ चलते हैं
हम सबको ललचाऍ
ओ भाई ,ऐसे फागुन आऍ।

नये सृजन हों, नव आशाऍ
नये रंग हों नव आभाऍ
ओ भाई ,ऐसे फागुन आऍ।

कमलेश कुमार दीवान
१० मार्च ०९