फूल और बेटियां
कमलेश कुमार दीवान
जब जब घर के गमले में गुलाब खिलते हैं
बेटियां याद आती है
जो पढ़ने गई है विदेश में नौकरी पर हैं देश में
और जो ब्याह दी गई बहुत दूर
ये फूल क्यों खिलते हैं घर के गमले में याद दिलाने
बेटियों के संघर्ष जद्दोजहद आद्योपांत
भीड़ भरी सड़कें,कोलाहल दफ्तर
छोटे छोटे कमरों वाली दड़बे नुमा हास्टल
क्यों इन कांटों में ही खिल उठते हैं गुलाब
जो याद दिला जाते हैं बेटियों की
उनके संघर्ष अपने से कष्ट चुभते हैं कांटो की तरह
बस खुशियां ही थोड़ी कम लगती है
गुलाब तुम गमलों में मत खिलो ऐसे
जिनमें बेटियां दिखे गुलाब सी
बेटियां और फूल एक से ही हैं
खिलते हैं तो खुशियां बिखेरते हैं
और मुरझाते है तब........?
कमलेश कुमार दीवान
26/7/25