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शुक्रवार, 18 नवंबर 2022

उनके बयान..... ग़ज़ल

 उनके बयान आएंगें.......

                                 कमलेश कुमार दीवान 

चुप होती शाम और ढहते मकाम आएंगे

ज़िंदगी जी है तो हर एक के नाम आएंगे

गमों के साए उदासियां, खुशी भी साथ रही 

गुजर गए जो लम्हे,वो भी तमाम आएंगे

किसी का साथ कोई और भी सफ़र में रहा

रूठने वाले तो हैं, उनसे भी पयाम आएंगे

कभी किसी को कोई याद कहां  रहता है

हर एक सोचता क्या फिर वो काम आएंगे

चलो उठो अब तुम भी ये न सोचो 'दीवान '

किया न याद कभी उनके भी बयान आएंगें

कमलेश कुमार दीवान

13/1/22








मंगलवार, 8 नवंबर 2022

अंधेरा है बहुत...... ग़ज़ल

 अंधेरा है बहुत

एक दिया और जलाएं कि अंधेरा है बहुत

दिलों को ऐसे मनाएं कि अंधेरा है बहुत

उजाले क़ैद हैं तमाम उनकी बस्ती में

उन्हें हम कैसे छुड़ाएं कि अंधेरा है बहुत

दिखाई दे रही रंगीनियां फिजाओं में

सभी को कैसे बताएं कि अंधेरा है बहुत

उजड़ गई है बस्तियां लुट गए हैं जहां

गरीब कैसे बताएं कि अंधेरा है बहुत

अभी देखो इन अंधेरों को संभालों 'दीवान'

उजाले आएंगे थोड़े,कि अंधेरा है बहुत 

कमलेश कुमार दीवान 

23/10/22




सोमवार, 7 नवंबर 2022

आज हम ...... प्रकाश पर्व

 प्रकाश पर्व शुभ हो मंगलमय हो 

     "आज हम "

                 कमलेश कुमार दीवान 

आओ अंतर्मन के दीप प्रज्वलित करें

आज हम 

पथ पर अंधियारे फैलें हैं, दिशा दिशा भ्रम हैं

सूरज चांद सितारे सब हैं, पर उजास कम हैं

थके पके मन,ढंग मग पर है

भूले राह चले हम।

आओ अंतर्मन के दीप प्रज्वलित करें

आज हम

कमलेश कुमार दीवान (लेखक)

23/10/2016