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शनिवार, 23 मई 2015

लोग बदल जाते हैं

मानव जीवन के अनुभव और यथार्थ से उपजी पीढ़ाओं को हम गीतो मे व्यक्त करते है हमे इस सचाई को नही भुलना चाहिये कि दुनियाँ परिवर्तनशील है यहाँ सब कुछ बदलते चला जाता हैा मेरा यह गीत बदलते हुये दुनियावी रिश्तो के मायावी सच को प्रदर्शित करता है देखे ....
लोग बदल जाते हैं..........

लोग बदल जाते हैं

जाने पहचाने
पथ पर चलते
लोग बदल जाते है ।
लोग बदल जाते है ।

साथी का साथ
नही मिलता
अपनो का हाथ
नही बढ़ता
बढ़ता अपेक्षाओ का सागर
खाली खाली रह गई डगर
हम बिखर बिखर कर
सिमट गये
अपनाने हाथ बढ़ाये जब
सपनो का साथ नही मिलता
पल पल क्षण क्षण
ढल जाते है
लोग बदल जाते है
जाने पहचाने
पथ पर चलते
लोग बदल जाते हैं

कमलेश कुमार दीवान
२२ मार्च २०१५

शुक्रवार, 1 मई 2015

"मिलते जुलते रहें समय से "...... एक गीत

आधुनिक युग समय के प्रबँधन का युग है ।लोगो का आपसी मेल मिलाप कम है । परस्पर मिलने जुलने और व्यवहार निबाहने से समाज मे सुख दुख बटते चले जाते है जीवन आसान होता है परन्तू  एक दूसरे से दूरियाँ बढ़ गई है ।मेरा यह गीत समय के साथ कदमताल करते हुये जीवन जीने से सबँधित है ।  कृपया पढ़े ...

"मिलते जुलते रहें समय से "...... एक गीत

मिलते जुलते रहें
समय से
सुख लगता है
ये दुनियाँ तो आसूँ वाली है
फिर भी उत्सव
और खुशहाली है
खिलते खुलते रहें
समय से
दुख भगता है ।
मिलते जुलते रहे
समय से
सुख लगता है ।

करते रहे जुगाड़
लिये फिर आड़
ये झुरमुट कैसे है
चंदन वन मे
चाँद सितारे कहाँ
वहाँ तो पैसे है
रूपया वालो का आसमान
बाकी सब  ख्याली है
चादर सिलते रहे
किस तरह मलाली है
पलते पुसते रहे
समय से
जग सजता है
मिलते जुलते रहे
समय से
सुख लगता है

कमलेश कुमार दीवान
लेखक
12/04/ 2015