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शुक्रवार, 23 अक्तूबर 2015

बंजारे तू गीत न गा रे

""बंजारे तू गीत न गा रे""

बंजारे तू गीत न गा रे
बस्ती बस्ती प्यार के
बस्ती बस्ती प्यार के ।।
किसी से तेरी प्रीत नहीं है
कोई तेरा मीत नहीं है
तू तो चलता ही जाता है
मंजिल कभी नहीं पाता हैं
आजा रे तू मीत बना ले
मान और मनुहार से
बँजारे तू गीत न गा रे
बस्ती बस्ती  प्यार के
हो न सके उस यार के
बंजारे तू गीत न गा रे
बस्ती बस्ती प्यार के ।

कमलेश कुमार दीवान
लेखक
18/12/2000
kamleshkumardiwan.youtube.com