श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व
जो अनादि है,अजन्मा है ,अनंत आकाश का सृजनकर्ता एवम् नियंता है उसके स्वरूप मे
श्रीकृष्ण भगवान का जन्म कंस के कारगार मे दिन व्यतीत करते हुये देवकी॑-बसुदेव जी
की याद दिलाते है उनकी परिस्थितियाँ हमे जीवन संघर्षों की प्रेरणा देती है ।
लोकतंत्र ,समाज और अर्थव्यवस्थाओं सहित शासन व्यवस्थाओं की जो चुनौतियाँ
आधुनिक सभ्यताओं के समक्ष आ रही है उससे हमे लगता है कि भारतीय समाज को पशुपालन
की तरफ लौटना होगा ,तभी हम समृध्द बने रह सकते हैं ।
श्री कृष्ण के लिये एक प्रार्थना गीत सादर समर्पित है "श्याम मोरे श्याम मोरे
श्याम मोरे (प्रार्थना भजन)
श्याम मोरे ,श्याम मोरे ,श्याम मोरे
फिर तुझे आना पड़ेगा
फिर तुझे आना पड़ेगा ।
आज फिर मीरा को
विष देकर ,सुधारा जा रहा है
द्रोपदी के चीर से ,
पर्वत बनाया जा रहा है ।
सूर,उद्वव,नँद-जसुमति
देवकी बसुदेव सब है
पर बहुत है कंस,
फिर कारां बनाया जा रहा है ।
रूख्मणि -राधा अकेली
गोपियों की बँद बोली
ओ कन्हैया कालिया वध
के लिये आना पड़ेगा ।
श्याम मोरे,श्याम मोरे,श्याम मोरे
फिर तुझे आना पड़ेगा
फिर तुझे आना पड़ेगा।
कमलेश कुमार दीवान
21/09/1998