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सोमवार, 30 जुलाई 2012
सावन आये रे सावन आये रे
रक्षा बँधन का पावन पर्व हमे निर्मलता प्रदान करे ,ताकि
हम लोकतंत्र, भारतीय संस्कृति और समाज के साथ साथ
पारिवारिक जीवन मूल्यो के प्रवाह को बनाये रखने मे समर्थ
हो सके ।
शुभकामनाओ सहित
स्वरचित गीत आप सभी को सादर समर्पित है..
सावन आये रे
सावन आये रे....
बादल बिजुरी और हवायें
घिर आये घनघोर घटाएँ
घन बरसाएँ रे...
सावन आये रे....।
सरवन के कच्चे धागों से
बहना करे श्रृंगार भाई का
जग जाने भारत की रीति
मूल्य जाने बहना कलाई का
सब मन भाये रे.....
सावन आये रे ...।
कमलेश कुमार दीवान
24/08/2010
होशंगाबाद म.प्र.
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