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रविवार, 19 अप्रैल 2015

एक देश की सार्वभौमिकता सम्प्रभुता काश्मीर के संदर्भ मे

एक देश की सार्वभौमिकता  सम्प्रभुता काश्मीर के संदर्भ मे

विश्व के अनेक देशो मे अनेक प्रकार के संघर्ष लोकतँत्र और प्रशासनिक सत्ताओ से तरजीह नहीं मिलने के परिणामस्वरूप असंतूष्ट गुटो या पृथकतावादी जमातो व्दारा संचालित किये जा रहे है जिनके पास सरकार जैसे हथियार और अग्यात स्त्रोतो से प्राप्त हो रहा धन वल है ।किन्तु प्रश्न है कि जब तक किसी देश के नागरिक शामिल न हो तब तक विदेशी ताकते किसी दूसरे देश के आंतरिक भागो मे अराजकता पैदा नही कर सकती है ।विश्व के कई देश है जो अपने अस्तित्व से पुर्व छोटे देशो मे बँटे हुये थे एक देश बने है उनमे हमारा देश भअरत भी है । एक देश मे दूसरा देश बनाने की कवायदे अंतर्राष्ट्रीय जुर्म होना चाहिये  अन्यथा देश के कई भागो मे नये देश बनाने या फिर भूभागो को दूसरे देश मे मिलाने के आंदोलन प्रारंभ हो सकते है । यह देश की सम्प्रभुता के प्रश्न है ।
  काश्मीर मे पाक झँडे फहराने या भारत विरोधी मुहिम कोई नई बात नही है ।हमे यह समझना चाहिये कि आजादी के आंदोलन  के पश्चात देश निर्माण की प्रकिया मे काश्मीर का भी विलय भारत के साथ हुआ है और यह वैधानिक है ।फिर यह उकसावे और आंदोलन क्यों?हमे देश हित के लिये बहुत सख्त रूख अपनाना चाहिये । हमे याद रखना होगा कि जो समस्या को पैदा करते है उन्ही के अंदर रहते लोग उसका समाधान भी लाते है ,अर्थात् समय के साथ समस्याओं के निदान करना आवश्यक है हमे तुरंत पहल करने की मानसिकता बनानी चाहिये ।

मै यहाँ अपना एक गीत प्रस्तुत कर रहा हूँ ...देखे

वतन मे लोक जिंदा है

यह तो सन्मान है मेरे वतन मे लोक जिंदा है
वरन् इस देश को कई देश होते देखना होता ।
जो बर्बर थे लुटे,मिटे कुछ तानाशाही से
बची है राजशाही तब वहाँ जन अधिकार देने से
मेरा यह गान है जनतंत्र सबका हो
तिरँगा एक हो यह मंत्र सबका हो
बँटे क्यों जातियों मे हम
लुटे क्यों साथियों से हम
यही संघर्ष आजादी सबकी बिरासत है
मगर अब वोट की खातिर
बँटे क्यों वादियों मे हम
मुझे यह ग्यान कि मेरे जेहन मे ध्वज तिरँगा है
मुझे अभिमान है मैरे वतन मे लोक सत्ता हैं
यह तो सनमान है मेरे वतन मे लोक जिंदा है ।

कमलेश कुमार दीवान
लेखक
7 अप्रेल 2015