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बुधवार, 31 दिसंबर 2014

New Year poems

              नव वर्ष 2015

1..आओ नव वर्ष
    तुम्हारा बँदन ।

   खुश हो सब
   सुखी रहे
  फिर हो अभिनंदन ।
काल की कृपा होगी
सारे सुख पायेंगे
पीकर हम हालाहल
अमृत बरसाएंगें
धरती गूड़ धानी दे
पर्वतो पर पैड़ रहे
रेलो मे सड़को पर
हम कसबकी खेर रहे
माँग मे सिदुँर रहे
 भाल पर तिलक चंदन
आओ नव वर्ष
 हम करे वँदन

2..नव वर्ष

सुख बिखर सिमटते रहे
तिमिर घन
घटते बढ़ते रहें
प्रण टूटे ,
मौन और विस्तृत
स्वीकारे उत्कर्ष ,
नये आये है,वर्ष ।
नव वर्ष पर शुभकामनाये ,सूखी और समृध्दशाली रहे
शुभ मँगलकामनाओ सहित  सादर समर्पित है।
    कमलेश कुमार दीवान
mob.no.9425642458
kamleshkumardiwan.youtube.com
kamleshkumardiwan.blogspot.com

बुधवार, 22 अक्तूबर 2014

दीपावली के पावन पर्व

दीपावली के पावन पर्व
दीपावली के पावन पर्व पर शूभकामनाये ।हमारी सृष्टि मे चहुँ और अँधकार है जिसे सूरज का प्रकाश उजालो से भरता है ।ज्योति पर्व समस्त चराचर मे व्याप्त अँधकार को उजियारे मे तब्दील करने का पर्व है ।हम सब सुखी रहे ,समृध्दशाली बने और जीवन पथ पर सभी को साथ लेकर मँजिल की और कदम बढाते चले । मंगलकामनाये  के साथ यह  स्वरचित कावय पंक्तियाँ सादर समर्पित है ....

दीप की तरह जले
सीप की तरह ढले
अनंत से प्रकाश पा
बढे चले ,बढे चले
मँजिले तो आयेंगी
मँजिले तो आयेंगी ।

ये पथ रहे प्रकाश मे
उल्लास हो आभास मे
आनंद का एहसास हो
दीप के आकाश मे
इन पर्वतो के पार भी
कोई न कोई देश है
अँधेरो के नकाब मे
कोई न कोई वेष है
चढे चलो चढे चलो
बढे चलो बढे चलो ।

कमलेश कुमार दीवान (लेखक)
होशंगाबाद म.प्र
22oct 2014
9425642458
kamleshkumardiwan.youtube.com

रविवार, 22 जून 2014

पतझड़ के लिये गीत

पतझड़ के लिये गीत

अब फूले है,पलाश
सरसो भर आई है
कोयलियाँ कुहक रही
बादलिया छाई है ।

आम्र बौर लद आये
झर रहे है नीम पात
पछुआ पुरवाई भी
बहती है साथ साथ
मौसम की आहट है
पतझड़ फिर आई है।

वन प्रांतर सुलग रहे
झुलस  रहे गात गात
महुये के पेड़ों मे
आई तरूणाई है ।
अब जिनको है तलाश
वर्षो की पायी  है ।

अब फूले है फलाश
सरसों भर आई है।

कमलेश कुमार दीवान
9/03/2010



मंगलवार, 3 जून 2014

बच्चो तुम्हे

बच्चो तुम्हे

बच्चो तुम्हे
आकाश की जरुरत थी
हम तुम्हे भगदड़ ,कोलाहल और
दे रहे है भीड़ भरी सड़के
सब कुछ बदल दिया है
विग्यान ने
क्रमबध्द ग्यान से हमारे आसपास
सन्नाटे गहरा गये है
ऐसे वियावान मै
हमारे साथ सिर्फ ईश्वर हो सकता है
आदमी नही ।

कमलेश कुमार दीवान
28.10.1999

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शुक्रवार, 2 मई 2014

अखबारो मे आम हुये है


अखबारो मे

अखबारो मे आम हुये है 
खास खास चरचे 
खास खास चरचे ।

दीवारो पर लिखे इबारत 
अबकी बारी इनकी हैं
ढोल मढ़ैया ,चौसर चंका 
सारी बाजी इनकी है 
हरकारो के दाम हुये है
सड़को पर पर्चे ।
खास खास चरचे ।

कीमत बढ़ी आसमानो सी 
सुलतानो के होश उड़े
दरबारी को नींद न आई 
रहे ऊँघते खड़े खड़े 
लोकतंत्र मे आई खराबी 
फिर जनता पर दोष मढ़े
द्वार द्वार बदनाम  हुये है 
दौलत और खर्चे ।
खास  खास चरचे ।

अखबारो मे आम हुये है
खास खास चरचे 
खास खास चरचे ।

कमलेश कुमार दीवान 
दिनाँक २७ । १०। १९९८

मंगलवार, 14 जनवरी 2014

पतंग उड़ाओ

मकर सक्रांति पर्व और उत्तरायण के सूर्य आपके जीवन पथ को आलोकित करे ।सुख समृध्दि और उन्नति के नवीन मार्ग प्रशस्त करे शुभकामनाये है ।मकर सक्राति के पर्व पर शुभकामनाओ सहित मेरा यह गीत सादर प्रस्तुत है जो आपके लिये है ..



 पतंग उड़ाओ

अपनी पतंग उड़ाओ
आसमान देखकर
तिल ताड़ मत बनाओ
आसमान देखकर
यूँ ही नहीं माजा से
कटती है  उंगलियाँ
अपनी पतंग लड़ाओ
भाव ताव देखकर ।

जब भी उड़ाओ दूर तक
दिखती रहे पतंग
हाथों मे नियंत्रंण हो
चरखा हो संग संग
थोड़ी सी ढील से ही
घूमेगी चारो ओर
फिर देखते   ही
युँ ही कट जायेगी पतंग ।
संग साथ गुनगुनाओ
आसमान देखकर
अपनी पतंग उड़ाओ
आसमान देखकर ।

कमलेश कुमार दीवान
14/01/14