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रविवार, 22 जून 2014

पतझड़ के लिये गीत

पतझड़ के लिये गीत

अब फूले है,पलाश
सरसो भर आई है
कोयलियाँ कुहक रही
बादलिया छाई है ।

आम्र बौर लद आये
झर रहे है नीम पात
पछुआ पुरवाई भी
बहती है साथ साथ
मौसम की आहट है
पतझड़ फिर आई है।

वन प्रांतर सुलग रहे
झुलस  रहे गात गात
महुये के पेड़ों मे
आई तरूणाई है ।
अब जिनको है तलाश
वर्षो की पायी  है ।

अब फूले है फलाश
सरसों भर आई है।

कमलेश कुमार दीवान
9/03/2010



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