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शुक्रवार, 14 अक्तूबर 2011


आकाश छोटा

रहम की बस्ती मे आये
जलजले इतने  बड़े थै
कि हुआ आकाश छोटा ।

सब पता था इन हवाओं को,
सिरफिरे तूफान को
उसने न टोका ।
कि हुआ आकाश छोटा ।

रेत के घर को हिमालय मानते थे
ईट गारे को शिवालय जानते थे
एक बड़ा जल से भरा गढ्ढा,सागर हुआ था
एक झरने को नदी सा जानते थे

बहम की किश्ती मे आए
महकमें इतने बड़े थे
कि हुआ आभास थोथा ।
कि हुआ आकाश छोटा ।

    कमलेश कुमार दीवान
      २५ मार्च १९०६