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गुरुवार, 22 अप्रैल 2010

कुछ देर सही .... गीत

 कुछ देर सही   गीत

आओ कुछ देर सही
दूर तक चले हम
जीवन मे रास्तो के
फाँसले करे कम ।
आओ कुछ देर ...

हौसले बहुत है अब
आगे ही बढ़ना है
ऊँचे पर मुकाम
पाँव पाँव चढ़ना है

अपने जब दे शिकस्त
गिरकर सभँलना है
सपने हो ढेर सही
पूर्ण कर चले हम ।

आओ कुछ देर सही
दूर तक चले हम। 

कमलेश कुमार दीवान
होशंगाबाद म.प्र.
31/12/09

रविवार, 11 अप्रैल 2010

लो आई गर्मियाँ ....... विछ गये हैं फूल,सेमल के

लो आई गर्मियाँ

विछ गये हैं फूल,
सेमल के
लो आई गर्मियाँ ।
लो आई गर्मियाँ ।
सुर्ख ,कोमल,लाल पखुरियाँ
लिए रहती,
अनेकों तान छत वाली
बहुत ऊँची,
गगन छूती डालियाँ
खिल उठी हैं
हो के मतवाली।

छा गई मैदान पर,
रक्तिम छटाएँ
चलो नंगे पाँव तो,
वे गुदगुदाएँ
खदबदाती सी खड़ी
वेपीर लगती है,
खुशी के पल भरा पूरा
 नीड़ लगती हैं।

ग्रीष्म भर उड़ती रहेगीं रेशे ..रेशे
जो कभी विचलित,
कभी प्रतिकूल लगती है।

विछ गयें हैं शूल,
तन...मन के
लो आई गर्मियाँ ।

विछ गये हैं फूल,
सेमल के
लो आई गर्मियाँ ।
  कमलेश कुमार दीवान
     १० मार्च २००८
नोटःः यह गीत ग्रीष्म ऋतु मे सेमल के पेड़ के फूलने फलने
       और बीजों को लेकर उड़ते सफेद कोमल रेशों के द्श्य
          परिस्थितियों पर लिखा गया है ।