"जो तुम चलो तो"
कमलेश कुमार दीवान
जो तुम चलो तो दुनियां भी चलेगी ऐसे
जैसे आकाश मे चाँद सितारे से चलें
जो तुम चलो तो .........
रुके हैं आज अँधेरें हर एक मंजिल पर
उजाले कैसे दिखेगें किसी भी तंगदिल पर
असर भी चुक रहें हैँ खुट रही हैं आशाएँ
ये जो विश्वास है वह भी तो इशारों से चले ।
जो तुम चलो तो ........
बहुत हुई हैं मिन्नते अब आरजू भी नहीं
ये जो राहों की सदाएँ हैं उसी छोर से हैं
अब हवाएँ नहीं होती हैं कभी तूफान के साथ
कराह उठे हैं सागर भी सभी ओर से हैं
ये कायनात ही सभी कुछ संभालती हैं यहाँ
सभी इंतजाम कर सूरज भी सबेरे से चले ।
जो तुम चलो तो .........
कमलेश कुमार दीवान
10/5/21