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गुरुवार, 17 दिसंबर 2009
रे मन
भजन....
रे मन
रे मन
काहे तू इतना डरे ।
पवन पुत्र तेरे
संग..साथ है
गणपति विध्न हरे ।।
रे मन..
काहे तू इतना डरे ।
कमलेश कुमार दीवान
25/10/09
2 टिप्पणियां:
जयंत - समर शेष
17 दिसंबर 2009 को 10:53 pm बजे
Aaur aage bhi likhen..
Achchaa hai.
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Udan Tashtari
18 दिसंबर 2009 को 2:44 am बजे
बहुत बढ़िया.
जी, आगे बढ़ायें इसे.
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Aaur aage bhi likhen..
जवाब देंहटाएंAchchaa hai.
बहुत बढ़िया.
जवाब देंहटाएंजी, आगे बढ़ायें इसे.