मेघ गीत मेघ बरसो रे
मेघ बरसो रे
प्यासे देश,
बहां सब रीत गये ।
ताल तलैया ,नदियाँ सूखी
रीता हिया का नेह
मेघ बरसो रे पिया के देश ...
बहाँ सब बीत गये ।
कुम्लाऍ है
कमल कुमुदनी
घास पात और देह
उड़ उड़ टेर लगाये पपीहा
होते गये विदेह ।
मेघ हर्षो रे
प्यासे देश
यहाँ सब रीत गये ।
मेघ बरसो रे
पिया के देश
बहाँ सब रीत गये ।
कमलेश कुमार दीवान
दिनाँक २३अगस्त २००९
बहुत सुन्दर!!
जवाब देंहटाएंसादगी से भरपूर..
जवाब देंहटाएंसुन्दर..
कुंवर जी,
waah bahut khoob..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना है।बधाई।
जवाब देंहटाएंउड़ उड़ टेर लगाये पपीहा
जवाब देंहटाएंहोते गये विदेह ।
मेघ हर्षो रे
प्यासे देश
यहाँ सब रीत गये ।
बहुत सुन्दर!