#हेलो डाक्टर #
.. “ कमलेश कुमार दीवान”
क्या आप जानते है कि आपके मरीज पर्याप्त दवाई खाने के बाद भी स्वस्थ नहीं हो पा रहें हैं?मुझे लगता है कि शायद आप हाँ नहीं कहेंगे।हमें विश्वास करना होगा कि हमारे देश के 99%व्यक्ति बीमार होने पर कई पेथी से संबधित नाना प्रकार की दवाईयाँ अपने आप सीधे दुकानों से खरीदकर सेवन करतें हैं इसमें इलाज करने वाले के साथ विज्ञापन भी सहभागी हैं।इसका एक अर्थ यह भी है कि एलोपैथिक चिकित्सा से कहीं अधिक विश्वास आयुर्वेद ,होम्योपैथी,यूनानी चिकित्सा पद्धतियों के साथ घरेलू नुस्ख मे है ।कभी कभी डाक्टर यह कहते हुए भी देखें जाते हैं कि “वह दवाई मत छोड़ना यह भी चलने दो “गजब संस्कार हैं।इस बहाने कुछ बातें जरूर साफ होना चाहिए……
1..मरीज की मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग जरूर करें ताकि आपको पता चले कि नाश्ते के पहले या बाद के लिये लिखी गई दवाई को सेवन करने हेतु उसकी नाश्ता करने की प्रवृत्ति या परम्परा है कि नहीं ?
2...अपनी तरफ से ही सभी प्रकार की जांच करवाएँ तदुपरांत ही दवा लिखें ।उसके पूर्व सामान्य दवाएं दे ताकि राहत मिले पर पैथोलॉजी जाँच प्रभावित न हो।
3...मरीजों को सुनें,देखें कि वह बीमारी से पृथक क्या बताना चाहता है ।
4...बगैर गहन जांच के दवाएं न लिखें।
धन्यवाद।
कमलेश कुमार दीवान
होशंगाबाद
30/6/177
achchi bat kahi hai aapne. mere blog par aapka swagat hai.
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धन्यवाद
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