पता चले....
कुछ देर सही मिल बैठे तो
साँसो की लय का पता चले
हम कौन कहाँ तक चल पाऍ
बाधाऍ क्या है पता चले ।
कब रूके और कब मिले प्रिय
कब बिछुड गये तँजीमो से
सब खाली खाली उजड गये
कुछ छिपा हुआ आस्तीनो मे
कोई गैर नही ,कोई बैर नही
फाँसो की तह का पता चले।
हम कौन कहाँ तक चल पाऍ....
हम आजादी के दीवाने
सब लोकत॔त्र के गायक है॔
ऐसा लगता है तूफाँ मे
कश्तियौ॔ को खेते बाहक है
हम धवल श्वेतवर्णी हिमकण
काले पहाड़ क्यो॔ दीख रहे
हम शाँति और अविरलता के
गण है॔ नायक और उन्नायक
यही ठौर हमारे और नही॔
बातो की शह का पता चले।
हम कौन कहां तक चल पाऍ
बाधाऍ क्या है॔ पता चले ।
कमलेश कुमार दीवान
19/9/2020
*हमारी बाधाऍ ...राजनीति,धर्म,जातिवाद,
अशिक्षा,अंधविश्वास,कुरीतियाँ आदि आदि है।
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