suniye
क्या करूँ मेरे मना....... गीत
क्या करूँ , मै क्या करूँ मेरे मना
दिल नहीं लगता है,रहता अनमना।
ऐसा लगता,भागते रहने से
सब कुछ खो रहा है
जिंदगी के गीत गाये साथ साथ
अब खुशी के साथ भी कुछ हो रहा है।
दिल नहीं लगता है ,रहता अनमना
क्या करूँ मै क्या करूँ मेरे मना ।
ठहरना ,चलना,ठिठकना, याद रखना भूलना
शुष्क ॠतुओं मे उपजना,लहलहाना
और फलना फूलना
आए मौसम जब बहारों का
मुस्कराने ,मचलने और श्रृगारों का
भूलकर होती नहीँ है कल्पना ।
क्या करूँ मै क्या करूँ मेरे मना
दिल नहीं लगता है रहता अनमना ।
क्या अधेंरी रात का आकाश या तारा बनूँ
बादलों बरसात की एक बूँद ,जल सारा बनूँ
या कि सागर झील का मोती रहूँ
सीप में पलते हुए संसार का कारा बनूँ
पीर हरने का सहारा जन्मना.
दिल नहीं लगता है रहता अनमना ।
क्या करूँ मै क्या करूँ मेरे मना
दिल नहीं लगता है रहता अनमना ।
कमलेश कुमार दीवान
०१ मई २००६
क्या अधेंरी रात का आकाश या तारा बनूँ
जवाब देंहटाएंबादलों बरसात की एक बूँद ,जल सारा बनूँ
या कि सागर झील का मोती रहूँ
सीप में पलते हुए संसार का कारा बनूँ
पीर हरने का सहारा जन्मना.
दिल नहीं लगता है रहता अनमना ।
सारगर्भित ..... भावपूर्ण
बेहद सुन्दर गीत !
जितनी भी प्रशंसा करूँ कम है !
आज की आवाज
धन्यवाद
हटाएंधन्यवाद आभार
हटाएंकृपया वर्ड वैरिफिकेशन की कष्टकारी एवं उबाऊ प्रक्रिया हटा दें !
जवाब देंहटाएंयूँ लगता है मानो शुभेच्छा का भी सार्टिफिकेट माँगा जा रहा हो । इसकी वजह से पाठक प्रतिक्रिया देने में कतराते हैं !
बहुत ही आसान तरीका :-
ब्लॉग के डेशबोर्ड पर जाएँ > सेटिंग पर क्लिक करें > कमेंट्स पर क्लिक करें >शो वर्ड वैरिफिकेशन फार कमेंट्स > यहाँ दो आप्शन होंगे 'यस' और 'नो' बस आप "नो" पर टिक कर दें > नीचे जाकर सेव सेटिंग्स कर दें !
बस ***** हो गया !
धन्यवाद
हटाएंdiwan saheb,
जवाब देंहटाएंbadhai ho!
bahut hi umda geet..............geet k ek ek lafz me aapne zingi k ve lamhaat bhar diye hain jo nitaant niji hote hain aur jinhen sirf mahsoos kiya ja sakta hai..bayan karna..namumqin hota hai__________really great_________
धन्यवाद
हटाएंआप की रचना प्रशंसा के योग्य है . आशा है आप अपने विचारो से हिंदी जगत को बहुत आगे ले जायंगे
जवाब देंहटाएंलिखते रहिये
चिटठा जगत मैं आप का स्वागत है
गार्गी
आभार
हटाएंधन्यवाद
हटाएंबहुत ही भावनात्मक सारगर्भित रचना
जवाब देंहटाएंswagat hai
जवाब देंहटाएंman aa gya. narayan narayan
जवाब देंहटाएंacha likha hai
जवाब देंहटाएंआभार
हटाएंबहुत सुन्दर गीत है ...
जवाब देंहटाएं>जिंदगी के गीत गाये साथ साथ
>अब खुशी के साथ भी कुछ हो रहा है।
भाव और प्रवाह दोनो का अनूठा संगम
धन्यवाद आभार अनूप भार्गव जी
हटाएंमन पे छाने लगी क्यों उदासी बहुत
जवाब देंहटाएंकिसलिये हो रहा है ह्रदय अनमना
जान लो जब कि तन्हाईयां मित्र हैं
पक गुजरते हुए भी गुजर न सके
स्वप्न श्रंगार करते थके हैं सदा
चाह कर भी निमिश्ग भर संवर न सके
तो तसल्ली का दामन पकद कर कहो
पीर का छत्र सिर पर रहेगा तना
मन को रखना है फिर किसलिये अनमना ?
धन्यवाद आभार खंडेलवाल जी सादर प्रणाम
हटाएंधन्यवाद
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
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