चिड़ियों की चिंताओं मे
ओ चिड़ियो , ओ चिड़ियो
पंख फड़फड़ाओ मत
उड़ के तुम दूर कहीं जाओ मत
गाओ गुनगुनाओं मत
खिलखिला के हँसना सब दूर मना
ये पर्वत ,नदियाँ ,झील, सागर के साथ साथ
नीला आकाश खूब बना ठना है
आसपास एक छोटा पिंजरा बना है
ओ चिड़ियो ओ चिड़ियो ओ चिड़ियो
फंख फड़फड़ाओ मत
गाओ गुनगुनाओ मत
खिलखिला के हँसना सब दूर मना है।
अब कितना मुश्किल है
खोखले से बरगद पर घौसला बनाना
खतरनाक हो गया है
दूर हरे खेतों से चुग्गा ले आना
दुनका दाना पानी सब यहीं बुलाने दो
उड़ना पर तौलना सब दूर मना है।
ओ चिड़ियो ओ चिड़ियो ओ चिड़ियो
फंख फड़फड़ाओ मत
उनको फुरफुराने दो
गाओ मत गीत कोई
उनको ही गाने दो
आस पास आओ मत
उनको मँडराने दो
नीला आकाश खूब बना ठना है।
ओ चिड़ियो ओ चिड़ियो ओ चिड़ियो
आस पास एक छोटा पिंजरा बना है।
कमलेश कुमार दीवान
०८ मार्च १९९५
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें