एक अकेला हंस
एक अकेला हंस
युगो से
सैर कराता रहा काग को
पर कौऔ ने
डींग हाँकना
जारी रख्खा है ।
रोज बताते
नये तरीके
ऐसे हम उडान भरते है
कभी पँख फैला देते है
और सिमट गोता भरते हैं
जब बारी आती उडान की
पीठ हँस की बैठ लिये है
करते मानसरोवर यात्रा
क्रम अब भी
जारी रख्खा है ।
एक अकेला हंस...
कमलेश कुमार दीवान
२२।०५।१३
कौवे नहीं बदलेंगे ..
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ..
धन्यवाद
हटाएंधन्यवाद
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