पात पात झर रहे है
पात पात झर रहे है
महके महके गात गात
रिश्तो मे अनबन है
फिर भी थोड़ी समात ।
वन उपवन बहके है
महुये की सुगंध से
फागुन के रंगो से
बांसती अनूबँध से
थोड़ी सी आस पर
बहकी सी कायनात
रिश्तो मे अनबन है
फिर भी थोड़ी समात ।
कमलेश कुमार दीवान
6 मार्च 2015
kamleshkumardiwan.youtube.com
पात पात झर रहे है
महके महके गात गात
रिश्तो मे अनबन है
फिर भी थोड़ी समात ।
वन उपवन बहके है
महुये की सुगंध से
फागुन के रंगो से
बांसती अनूबँध से
थोड़ी सी आस पर
बहकी सी कायनात
रिश्तो मे अनबन है
फिर भी थोड़ी समात ।
कमलेश कुमार दीवान
6 मार्च 2015
kamleshkumardiwan.youtube.com
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