"आओ बात करें"
- कमलेश कुमार दीवान
आओ बात करें अपनों से
अपनों से, अपने सपनों से
आओ बात करें।
मोबाइल से दूर हुए हम
लेपटॉप ने छीना है सुख
सुनने से प्रलाप उपजा है
पढ़ने से पहुंचा है दुःख
आओ साथ चलें अपनों के
अपने अपने सपनों के
आओ बात करें।
राहें नई उकेरे
रूकें नहीं पर थोड़ा ठहरें
फिर देखें यह नदी पहाड़ी
जल जंगल और जीवन
चांद सितारे सूरज तारे हवा
चलेगी साथ हमारे
आओ बात करें अपने से
अपनों से , अपने सपनों से
आओ बात करें।
*यह गीत सुबह सबेरे भोपाल में प्रकाशित हुआ है
दिनांक 15/9/19
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