मुझे थोड़ी खुशियाँ तो दो
मेरे बच्चो
इस ढलती उम्र में
मुझे थोड़ी खुशियाँ तो दो
मेरे बच्चो ।
मुझे पता है
घर के अनुशासन से
तुम सब ऊब चुके हो
मुझे जानकारियाँ मिल रही है कि
हमारे ही कारण तुम सब
अपनी अपनी दुनियां मे रम चुके हो
ये फोन ,ये कम्प्यूटर और शोसल नेटवर्क
सब कुछ अच्छी शिक्षा नही दे रहे हैं
जिस तरह किताबे, दादा दादी और परिवार से
सब कुछ मिल जाता था जो जरूरी था
गाँव,घर ,स्कूल पड़ोस कस्बा और शहर
सभी कूछ पहले जैसे नहीं रहे हैं
मेरे बच्चो
पर तुम बड़े होने के बाद भी
हमारे लिये बच्चे ही हो
गृहस्थी बसाओ, घर बनाओं खुश रहो
फिर भी हमारी अपेक्षाओं मे बदलाब नही ला पाते
मेरे बच्चो ,
चाहते है इस ढलती उम्र में
थोड़ी सी खुशियाँ
ताकि हम नदियों के वहाव,हवाओ के प्रवाह और
बागो से उड़ती हुई खुशबूओं को
महसूस कर सकें
मेरे बच्चो
थोड़ी सी खुशियाँ बाँटोगे
अपार हर्ष पाओगे ।
कमलेश कुमार दीवान
27/09/2016
kamleshkumardiwan@gmail.com
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