यह ब्लॉग खोजें

मंगलवार, 20 अप्रैल 2021

बहुत उदास है शामें......गजल

 


💐उदास है शामें💐
बहुत उदास हैं शामें जरा ठहर के चलो
किसी का हाथ भी थामों जरा ठहर के चलो
यहां हैं बंदिशें बहुत न जाने और क्या क्या हो
रहेंगे कैद भी सूरज , जरा ठहर के चलो
हम आम हैं या खास होंगें कुछ पता ही नहीं
बताए जा रहे हैं क्या जरा ठहर के चलो
इन हवाओं ने हमें कब से छोड़ रख्खा है
कुछ एक देर सही पर जरा ठहर के चलो
अब आस्तीनों मे इतनी जगह कहाँ है 'दीवान'
समाए फिर कोई मंजर जरा ठहर के चलो


कमलेश कुमार दीवान
16/4/21









कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें