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मंगलवार, 22 अप्रैल 2025

एक खिलौना हो जाए

 दुनिया एक खिलौना हो जाए 

                            कमलेश कुमार दीवान 

सोच रहे हैं यह दुनिया भी एक खिलौना हो जाए 

बदला बदला आसमान हो जो भी होना हो जाए 

चांद सितारे ग्रह उपग्रह यूं मुट्ठी में कर ले सबको 

पुच्छल तारें बैठ फिरें हम जो भी होना हो जाए

देखें पुंज पुंज को छूकर कैसे बन मिट सिमट रहे

ब्लैक होल में घूमे हम भी जो भी होना हो जाए 

निहारिकाएं छुए टटोले टुकड़े टुकड़े फिर जोड़ें 

सूरज पर अपना डेरा हो जो भी होना हो जाए 

सब कुछ छोड़ हवा को ढूंढें प्यास बुझाने पानी 

धरती जैसी और ज़मीं हो जो भी होना हो जाए 

कैसे कैसे ख्बाव हमारे ख्यालों में खोये 'दीवान' 

हम भी चले हवाओं जैसे जो भी होना हो जाए 

                             कमलेश कुमार दीवान 

                                   2/1/25

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