दुनिया एक खिलौना हो जाए
कमलेश कुमार दीवान
सोच रहे हैं यह दुनिया भी एक खिलौना हो जाए
बदला बदला आसमान हो जो भी होना हो जाए
चांद सितारे ग्रह उपग्रह यूं मुट्ठी में कर ले सबको
पुच्छल तारें बैठ फिरें हम जो भी होना हो जाए
देखें पुंज पुंज को छूकर कैसे बन मिट सिमट रहे
ब्लैक होल में घूमे हम भी जो भी होना हो जाए
निहारिकाएं छुए टटोले टुकड़े टुकड़े फिर जोड़ें
सूरज पर अपना डेरा हो जो भी होना हो जाए
सब कुछ छोड़ हवा को ढूंढें प्यास बुझाने पानी
धरती जैसी और ज़मीं हो जो भी होना हो जाए
कैसे कैसे ख्बाव हमारे ख्यालों में खोये 'दीवान'
हम भी चले हवाओं जैसे जो भी होना हो जाए
कमलेश कुमार दीवान
2/1/25
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