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रविवार, 8 जून 2025

जला है दीया

               *जला है दिया *

                                कमलेश कुमार दीवान 

कभी हवाओं से तो कभी तूफान से जला है दीया 

कि बुझाने वालों के ही अभिमान से जला है दीया 

मिटाने आई है कितनी ही बार हस्तियां फिर भी 

बार बार हर मक़ाम उसी शान से जला है दीया 

बहुत उजाला था बस्ती में  कहीं अंधेरा ही न था 

दिखाएं ऐसे नजारे  बड़े अरमान से जला है दीया 

समय की धार तेज है उस भंवर में घूमते  'दीवान'

सच है कि बार बार अपने  ईमान से जला है दीया 

कमलेश कुमार दीवान 

12/4/25

मंगलवार, 22 अप्रैल 2025

एक खिलौना हो जाए

 दुनिया एक खिलौना हो जाए 

                            कमलेश कुमार दीवान 

सोच रहे हैं यह दुनिया भी एक खिलौना हो जाए 

बदला बदला आसमान हो जो भी होना हो जाए 

चांद सितारे ग्रह उपग्रह यूं मुट्ठी में कर ले सबको 

पुच्छल तारें बैठ फिरें हम जो भी होना हो जाए

देखें पुंज पुंज को छूकर कैसे बन मिट सिमट रहे

ब्लैक होल में घूमे हम भी जो भी होना हो जाए 

निहारिकाएं छुए टटोले टुकड़े टुकड़े फिर जोड़ें 

सूरज पर अपना डेरा हो जो भी होना हो जाए 

सब कुछ छोड़ हवा को ढूंढें प्यास बुझाने पानी 

धरती जैसी और ज़मीं हो जो भी होना हो जाए 

कैसे कैसे ख्बाव हमारे ख्यालों में खोये 'दीवान' 

हम भी चले हवाओं जैसे जो भी होना हो जाए 

                             कमलेश कुमार दीवान 

                                   2/1/25

सोमवार, 7 अप्रैल 2025

राम जी

         ।।राम जी ।।  ‌‌ 

                    कमलेश कुमार दीवान 

अच्छे बुरे हैं सबका ध्यान रखते हैं राम जी

पहचानते हैं सबका मान रखते हैं राम जी 

वे राज में है काज में और समाज में भी हैं

वो जानते हैं सबकी शान रखते हैं राम जी 

रोटी गरीब को मिले खुशियां भी बढ़े बहुत 

सही ओ ग़लत की पहचान रखते हैं राम जी 

कैसे बताएं वे बसते सभी के दिल दिमाग में 

वन में जटायु का एहसान रखते हैं राम जी 

क्या क्या बताएं और भी महिमा है राम की 

'दीवान' सबमें जान प्राण रखते हैं राम जी 

कमलेश कुमार दीवान 

6/4/25

बुधवार, 12 मार्च 2025

लुत्फ़

 कभी कभी हम कुछ लिखने और उसे दूसरों तक पहुंचाने की जल्दबाजी में शब्दों के प्रभाव को नजरंदाज कर देते हैं परन्तु जो शब्द होते हैं वे भी नाद करते हैं नृतन करते हुए हमे आलोड़ित करते जाते हैं ऐसा ही एक शब्द है लुत्फ़ जिसका आशय आनंद से है हमारे विचार ये है....

          *लुत्फ़"

अब लुफ़्त जिंदगी के भी उठाए नहीं जाते 

गाने हंसी खुशी के भी तो गाए नहीं जाते 

दुनिया का ये माहौल भी जुदा जुदा सा है 

मौसम जो आएं  अब वे आ के नहीं जाते 

कमलेश कुमार दीवान 

12/3/25

#लुत्फ़_मौसम_खुशी

शुक्रवार, 17 जनवरी 2025

ख्यालों से चलों.... कमलेश कुमार दीवान

 ख्यालों से चलों 

                        कमलेश कुमार दीवान 

तुम कहीं दूर बहुत,अपने ख्यालों से चलों 

गम के सायों से चलों अपने सवालों से चलों 

ये दुनिया भी एक ताबीज की मानिंद ही है 

अपने जज्बात और आते उजालों  से चलों 

बहुत कुछ पाया है हमने भी इसी दुनिया से 

अपनी फितरत है सहो पांव के छालों से चलों 

मैं नहीं,वो नहीं ये कौन है जो थम सा गया 

तुम चलो हम भी चलें उनके हवालों से चलों 

दुनिया वाले भी ऐसे ही  रोकते रहते 'दीवान '

उठाओ तेज कदम अपनी ही चालों से चलों 

कमलेश कुमार दीवान 

17/1/25