* कैसे कौन कहे *
कमलेश कुमार दीवान
बीते दिन की मीठी बातें
कैसे कौन कहे ।
इस उस किस किससे मुलाकातें
कैसे कौन कहे ।
दिन तपते हैं दुपहर भारी
शाम सुनहरी रातें कारी
उमस भरी सांसे लगती है
बादर और वर्षा बाजारी
यहां अधिक जल और
वहां कहीं पर बूंदाबांदी
मन भाए ललचाए ऐसे
एक बड़ी सौगात लगती हैं
दिन बीते रूठी सी रातें
कौन बताए कैसे मौन सहे
कैसे कौन कहे ।
मौसम की क्या बात कहें हम
कुछ ठंडा कुछ ताप सहे हम
पावस गई शरद आईं है
किस ऋतु की क्या माप कहें हम
बदला समय बिताना मुश्किल
कैसे कौन सहे।
कमलेश कुमार दीवान
21/09/24
नर्मदा पुरम मध्यप्रदेश भारत वर्ष
461001